Sunday, February 25, 2018

काश...

काश हम भी अपना दिल हल्का कर पाते
काश तुमसे अपने दिल की बात कह पाते
काश ना रहते चुप, ना रहते ऐसे घुटके
तुमसे लड़ पाते, रो पाते, शिकायत कर पाते
ना रहते यूँ सुन्न
कि अब अपनी धड़कन भी सुनाई नही देती
पर तुम्हारे ख्याल से आज भी सांस रुक जाती है
काश तुम्हे भुलाना इतना आसान होता
जितनी आसानी से तुमने भुला दिया
ये सच है कि तुमने साथ दिया
पर कैसे भूल जाये जो तुम ठुकरा के चल दिये
हमने तो कभी मुँह नहीं मोड़ा
फिर कैसे पत्थर दिल बोल दिया
बस चाहा कि तुम्हे हो गलती का एहसास
तुमने तो हमें ही सज़ा सुना दी
आखिर तक किया इंतज़ार तुम्हारा 
हम तो आज भी उसी उजड़े चमन में खड़े हैं
इंतज़ार नहीं किसी का भी अब
आँखों ने बंद किया रस्ता देखना अब
हैं आज भी कई सवाल पर तुमसे जवाब की उम्मीद नहीं
जो कहानी चुपचाप शुरू हुई , वैसी ही शांति से खत्म भी हो गई
उसके बीच में जो मधुर संगीत हमने बनाया, वो किसी ने नहीं सुना
हमें प्यार करना तुम्हारी गलती थी , तुम्हें ना भुला पाना हमारी
अलग होना हम दोनों की, लो अब हिसाब बराबर
हर बार तुमने कहीं  ना जाने का वादा किया
पर मुझे था यकीन तुम्हारे जाने का
कभी कमज़ोर नहीं पड़ी , और ना आज पड़ूँगी
अपना आज कैसे अपना पाऊँगी
अगर कल से ही जूझती रहूंगी
सोचा अब तेरे बारे में लिखना बंद करुँ
सोचा अब अलविदा कहुँ।

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